बिना जुर्म अपने जीवन के पांच सुनहरे साल जेल की कोठरी में खाक कर चुकी सीमा का अब एक परिवार बांहें पसारे इंतजार कर रहा है. वकील उसकी रिहाई के कागजात तैयार कर रहे है. जेलर से लेकर जिलाधिकारी तक इस बात के लिए फिक्रमंद है कि सीमा आजाद हो, आबाद हो. आई नेक्स्ट ने एक पहल की, तो लोग साथ आते गए कारवां बनता गया.
27 मार्च
सुबह दस बजे
आई नेक्स्ट ऑफिस
संपादक विकास वर्मा के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता वीरेंद्र दुबे मौजूद थे. वीरेंद्र दुबे सीमा से मिल चुके थे, संबंधित मामले के जज से बात कर चुके थे. फिक्र सिर्फ इतनी नहीं थी कि सीमा जेल से बाहर आ जाए. चिंता ये भी थी कि सीमा बाहर आकर कहां रहेगी, क्या करेगी? आई नेक्स्ट के एक और रीडर एसएन शुक्ला भी जेल में सीमा से मुलाकात की नाकाम कोशिश के बाद पत्नी के साथ आई नेक्स्ट के ऑफिस पहुंचे. एसएसबी (सीमा सुरक्षा बल) ऑफिस में कैंटीन चलाने वाले एसएन शुक्ला की पत्नी की आंखों में उम्मीदें थीं. वो सीमा से बिना मिले ही उसे बेटी मान चुकी थीं. इस उम्मीद में कि सीमा नवरात्र का व्रत रखे होगी, वह व्रत का सामान घर से लेकर चली थीं.
साढ़े ग्यारह बजे
जिला जेल
आई नेक्स्ट टीम के साथ जब वीरेंद्र दुबे और एसएन शुक्ला का परिवार जेल पहुंचा, तो वरिष्ठ जेल अधीक्षक एसके शर्मा मुंतजिर थे. जेल की चाहरदीवारी की निगेहबानी करते जिंदगी काट चुके एसके शर्मा की आंखें अपराधी और मजलूम के फर्क को पहचानती हैैं. उनकी आंखें बहुत पहले पहचान चुकी थी कि सीमा को जेल में नहीं होना चाहिए था. उन्होंने आई नेक्स्ट टीम और बाकी मेहमानों का खुले दिल से स्वागत किया. कागजी औपचारिकताओं के बाद सीमा से मुलाकात का रास्ता साफ हुआ.
वो एक घंटा
स्काई ब्लू सूट में पोनी टेल बांधे पांच फीट दो इंच लंबी वो लड़की मुलाकात की आवाज पर हैरान होती पहुंची. सकुचाए, सहमे से उसके चेहरे पर ये भाव साफ नजर आते थे कि मुझसे मिलने कौन आया? इतने साल में उससे मिलने कोई आया नहीं था. फिर आज अचानक, कौन? क्यों? जिसने सलाखों को अपना मुकद्दर मान लिया, जिसने सोच लिया कि शायद ही वो कभी आजादी की सांस लेगी, उसे कैसे ये यकीन आता कि जिन लोगों को वो जानती नहीं, कभी देखा नहीं, वो उसके लिए फिक्रमंद होंगे. जिसके मां-बाप फुटपाथ पर छोड़ गए, उसे कैसे यकीन आता कि गैर अपने बनकर आ गए हैैं. जब किस्मत ने हर कदम पर दगा दी, तो सीमा के सामने सवाल था कि वो कैसे विश्वास कर ले? आई नेक्स्ट के संपादक विकास वर्मा से तकरीबन आधे घंटे की बातचीत के बाद सीमा को यकीन आया कि वो सही लोगों के बीच है. सीमा के दिल का डर निकला, तो वो सब से खुलकर मिली. सालों बाद उसके चेहरे पर सहज मुस्कान खिली थी. जब श्रीमती सुमन शुक्ला ने उसे गले लगाया, तो वो नन्ही बच्ची की तरह उनके पहलू में सिमट गई. सालों से उसे जेल में देख रहे जेल कर्मचारियों की पलकें भीग गईं. सीमा सुबक पड़ी, सुमन रोने लगी. मर्द दिल भारी होने के बाद इसे अनदेखा करने का बहाना बनाकर आपसी बातचीत में मशगूल हो गए. वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने इस बाबत सीमा से मिलने पहुंचे दल-बल को बताया कि इस बाबत वो जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेज रहे हैैं. उनकी परमिशन पर सीमा को गार्जियनशिप में सौंपा जा सकता है.
शाम सात बजे
जिलाधिकारी आवास
जिलाधिकारी संजय कुमार से मिलने का समय तय हुआ. जिलाधिकारी बहुत पॉजिटिव एटिट्यूड के साथ मिले. जिले के सबसे बड़े नौकरशाह होने का तकाजा है कि इस तरह की पॉजिटिव पहल को वो आगे बढ़ाएं. उन्होंने तपाक से कहा कि ऐसा तो होना ही चाहिए. उन्होंने तुरंत वरिष्ठ जेल अधीक्षक से बात की. वरिष्ठ जेल अधीक्षक की रिपोर्ट से मुतमईन होने के बाद उन्होंने सीमा की रिहाई से संबंधित एप्लीकेशन पर अपर जिलाधिकारी नगर को इसे अंजाम दिलाने की जिम्मेदारी सौंप दी. न सिर्फ सौंपी, खुद एडीएम सिटी से बात की. एडीएम सिटी ने आई नेक्स्ट को बताया कि कल सीमा की रिहाई की औपचारिकता पूरी हो जाएंगी. खुदा करे, ऐसा ही हो. अब सलाखों के पीछे सीमा का एक-एक दिन मुहाल है. उसे पता है कि जिंदगी बाहर उसे आवाज लगा रही है. उम्मीद है कि नौकरशाही एक सपने को लालफीते का शिकार नहीं बनाएगी.
धन्यवाद:
Thanks To:
http://inextlive.jagran.com/gorakhpur/local/Local-News/Seema-will-get-freedom
I would like to know the current address and telephone no. of seema
ReplyDeleteif you are not able to give your address and telephone no. than better you can contact me on my mobile no. 08718008842.
ReplyDeletei am very much impressed to listen your story actually i want to meet you personally as early as possible. crime petrol is my favourite programme. my age is 50+ if you please contact me atleast once, i'll be very very happy
ReplyDeleteI would like to meet the girl seema......hey seema your story made me cry and i am very disapointed with your mother,why she left you only means why she choose your brother between you and him.......we realy need to change this mentality....I M AN ENGINEERING STUDENT AND i want you to join my page that is SAVE GIRL CHILD,its on facebook..you can search through my email account which is vinitarawat24@yahoo.com..mujhe lagta hai ki tumhari story se mai kuch had tak logo ka mind change kar sakti hu...i am waiting for your response..piz join me.
ReplyDeleteMay god blessed you with all the best moments of joy and happiness.....
I would like to meet personally or just see Mr and Mrs S. N. Shukla who actually set up an example of real love and care by adopting Seema. It was their 'will' of having a girl child and the struggles faced by Seema on the other hand, which bought them together to have a blessed life ahead. Being a girl, I am really thankful to this couple for taking this step from their heart and teaching others to love a girl child.
ReplyDeleteAnd for Seema, she is a blessed girl and since, she carried a very pure heart even while facing very tough parts of her life, God finally let her know that how much does he love her by sending this couple to her / for her. I am really happy for her and this family as well. :)
Sister मैने आज crime petrol देखा और तुमारी नेट पे भी कहानी padi बहन मेरी आँखों पे पानी था।।।।बस में आप के मम्मी पापा को thanx बोलूंगा जिन्होंने इस तरह की हिमत दिखाई।।।।।।।।।।
ReplyDeleteबहन आप हमेशा खुश रहो।।।।
Ishwar ap ki har manokamana puri kare
Sister मैने आज crime petrol देखा और तुमारी नेट पे भी कहानी padi बहन मेरी आँखों पे पानी था।।।।बस में आप के मम्मी पापा को thanx बोलूंगा जिन्होंने इस तरह की हिमत दिखाई।।।।।।।।।।
ReplyDeleteबहन आप हमेशा खुश रहो।।।।
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