इस घटना के बाद आर्मी अधिकारी ने उस बच्चे का नाम आतंकवाद के साथ जोड़ा था। जब ये घटना तूल पकड़ने लगी तो मुख्यमंत्री जयललिता ने मामले की जांच क्राइम ब्रांच से करवाने का आदेश दे दिया था। इस मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 50 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की और दोषी आर्मी अफसर को उम्र कैद की सजा सुनाई।
गौरतलब है कि जुलाई 2011 में तमिलनाडु की सीबी-सीआईडी ने मामले में सफलता प्राप्त करते हुए कंडास्वामी रामराज को गिरफ्तार किया था जिसने घटना में शामिल होने की बात कबूल कर ली थी। पुलिस के विशेष दल ने 58 बर्षीय (सेवानिवृत्त) लेफ्टिनेंट कर्नल रामराज को गिरफ्तार करने के साथ ही उस हथियार को भी बरामद कर लिया था जिससे दिलशान की हत्या की गयी थी।
दिलशान को उस वक्त गोली मारी गयी थी जब वह सेना के आवासीय इलाके में घुस कर बादाम तोड़ रहा था। रामराज अप्रैल में सेवानिवृत्त हुए थे और उनका कार्यकाल बढ़ा दिया गया था। उन्होंने कहा था कि रामराज ने अपराध कबूल कर लिया है और पुलिस को बताया कि वह पास के इलाकों से बादाम तोड़ने के लिए लगातार लड़कों के आने से नाराज थे और इसके चलते उन्होंने यह कदम उठाया।
सौजन्य से:
http://hindi.oneindia.in
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